भोले भंडारी संकटों से उबारते हैं, मुश्किल घड़ी में राह दिखाते हैं. तभी तो भक्त क्या देवता भी अपने कष्टों के निवारण के लिए भोले भंडारी की शरण में जाते ।
शिव का ऐसा ही एक धाम है बैजनाथ धाम.
शिव का ऐसा ही एक धाम है बैजनाथ धाम.
भोले भंडारी संकटों से उबारते हैं, मुश्किल घड़ी में राह दिखाते हैं. तभी तो भक्त क्या देवता भी अपने कष्टों के निवारण के लिए भोले भंडारी की शरण में जाते ।
भोले भंडारी संकटों से उबारते हैं, मुश्किल घड़ी में राह दिखाते हैं. तभी तो भक्त क्या देवता भी अपने कष्टों के निवारण के लिए भोले भंडारी की शरण में जाते
सबसे बड़े शिवभक्त की अनोखी कहानी कहता है बैजनाथ धाम
भोले भंडारी संकटों से उबारते हैं, मुश्किल घड़ी में राह दिखाते हैं. तभी तो भक्त क्या देवता भी अपने कष्टों के निवारण के लिए भोले भंडारी की शरण में जाते हैं. शिव का ऐसा ही एक धाम है बैजनाथ धाम.
बैजनाथ महादेव मंदिरबैजनाथ महादेव मंदिर
भोले भंडारी संकटों से उबारते हैं, मुश्किल घड़ी में राह दिखाते हैं. तभी तो भक्त क्या देवता भी अपने कष्टों के निवारण के लिए भोले भंडारी की शरण में जाते हैं. शिव का ऐसा ही एक धाम है बैजनाथ धाम. कांगड़ा के बैजनाथ धाम में महादेव के सबसे बड़े भक्त ने अपनी भक्ति की परीक्षा दी थी. अपने दस सिरों की बलि देकर रावण ने लिख दी भक्ति और आस्था की नई कहानी, लेकिन रावण से एक भूल हो गई.
हिमाचल की खूबसूरत और हरी-भरी वादियों में धौलाधार पर्वत श्रृंखलाओं के बीच बसा प्राचीन शिव मंदिर महादेव के सबसे बड़े भक्त की भक्ति की कहानी सुनता है. यहीं पर स्थापित है वो शिवलिंग, जो देखने में तो किसी भी आम शिवलिंग की तरह है. लेकिन इसका स्पर्श भक्तों को अनूठा एहसास देता है. इस शिवलिंग की आराधना भक्तों में असीम शक्ति भर देती है क्योंकि ये रावण का वो शिवलिंग है, जिसकी वो पूजा करता था. किवदंतियों की मानें तो रावण इसी शिवलिंग को अपने साथ लंका ले जाना चाहता था.
हिमाचल के कांगड़ा से 54 किमी और धर्मशाला से 56 किमी की दूरी पर बिनवा नदी के किनारे बसा है बैजनाथ धाम. जो अपने चारों ओर मौजूद प्राकृतिक सुंदरता की वजह । हर हर महादेव 🙏🏻