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#1दुर्गा मां के 108 नाम🙏🏻👇









1.सती

2.साध्वी

3.भवप्रीता

4. भवानी

5. भमोचनी

6. आर्य

7. दुर्गा

8. जया

9. आद्या

10. त्रिनेत्र

11. शूलधारिणी

12. पिनाक धारिणी

13. चित्र

14. चन्द्रघण्टा

15. महातप

16. मन:

17. बुद्धि

18. अहंकार

19. चित्तरुपा

20. चिता

21. चिति

22. सर्वमन्त्रमयी

23. सत्ता

24. सत्यानन्द

25. अनन्ता

26. भवानी

27. भव्या

28. भव्या

29. अभव्या

30. सदागति

31. शांभवी

32. देवमाता

33. स्वरुपिणी चिन्ता

34. रत्नप्रिया

35. सर्वविद्या

36. दक्षिणायण

37. दक्षज्ञवानसिनी

38. अपर्णा

39. अनेकवर्णा

40. 41. पाटलावती

42. पट्टा परीधाना
43. कलमजिरंजीनी
44. अमय विक्रमा
45. ब्रुटा
46. ​​सुन्दरी
47. सुरसुन्दरी
48. वनदुर्गा
49. मातंगी
50. मतंगमुनिपूजिता
51. ब्राह्मी
52. माहेश्वरी
53. अन्द्री
54. कुमारी
55. वैष्णवी
56. चामुण्डा
57. वाराही
58. लक्ष्मीतंगी
59. पुरुषकृति
60. विमला
61. उत्कर्षिनी
62. ज्ञाना
63. क्रिया
64. नित्या
65. बुद्धि
66. बहुला
67. बहुलप्रेमी
68. सर्ववाहन
69. निशुंभशुंभहननी
70. महिषासुरमर्दिनी
71. मकरकटभहन्त्री
72. चण्डमुण्डविनाशिनी
73.समस्त राक्षसों का नाश
74. सर्वदानवघातिनी
75. सत्य
76. सर्वसशस्त्र
77. बहु-सशस्त्र
78. बहु-सशस्त्र
79. कुमारी
80 समस्त राक्षसों का नाश
81.कैशोरी
82. युवती
83. यति:
84. अप्रौढ़ा
85. प्रौढ़
86. वृद्धमाता
87. बलप्रदा
88. महोदरी
89. मुक्तकेशी
90. घोररुपा
91. महाबला
92. अग्निज्वाला
93. रौद्रमुखी
94. कालरात्रि
95. तपस्विनी
96. नारायण

97. भद्रकाली

98. विष्णुमाया

99. जलोदरी

100. शिवदूती

101. कराली

102. अनन्ता

103. परमेश्वरी

104. कात्यायनी

105. सावित्री

106. प्रत्यक्षा

107. ब्रह्मवादिनी

108. सर्वशास्त्रमयी

जानिये चरणमृत का महत्व🙏🙏❤️❤️🙋🙋🌹🌹 comment








अक्सर जब हम मंदिर जाते हैं तो पंडित जी हमें भगवान का चरणमृत देते हैं। क्या कभी हमने ये जानने की कोशिश की। कि चरणामृत का क्या महत्व है? शास्त्रों में कहा गया है –
अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्।
विष्णोः पदोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते ।।

“अर्थात भगवान विष्णु के चरण का अमृत रूपी जल समस्त पाप-व्याधियों का शमन करने वाला है तथा औषधी के समान है। जो चरणामृत पीता है उसका पुन: जन्म नहीं होता है। जब भगवान का वामन अवतार हुआ, और वे राजा बलि की यज्ञशाला में दान लेने लगे तब उन्होंने तीन पग में तीन लोक नाप के लिए जब वे पहले पग में नीचे के लोक नाप के लिए और दूसरे में ऊपर के लोक नापने लगे तो जैसे ही ब्रह्म लोक उनके चरण में तो ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल में से जल लेकर भगवान के चरण धोए और फिर चरणामृत को वापस अपने मंडल में रख लिया। वह चरणामृत गंगा जी बन गई, जो आज भी पूरी दुनिया के पापों को धोती है, ये शक्ति उनके पास कहां से आई ये शक्ति है भगवान के चरणों की। जिस पर ब्रह्मा जी ने सामान्य जल चढाया था पर स्टैज का स्पर्श होते ही गंगा जी बन गए। जब हम बाँके बिहारी जी की आरती गाते हैं तो कहते हैं – “चरणों से निकली गंगा प्यारी जिसने पूरी दुनिया तारीधर्म में इसे बहुत ही पवित्र माना जाता है तथा मस्तक से स्थापित करने के बाद इसे मनाया जाता है। चरणामृत का सेवन अमृत के समान माना जाता है। कहते हैं भगवान श्री राम के चरण धोकर उन्हें चरणमृत के रूप में स्वीकार कर केवट न केवल स्वयं भव-बाधा से पार हो गए बल्कि उन्होंने अपने महत्वाकांक्षी को भी तार दिया। चरणामृत का जल हमेशा ब्रेंजा के पात्र में रखा जाता है। आयुर्वेदिक मतानुसार ब्रेज़ेन के पात्र में कई अभियुक्तों को नष्ट करने की शक्ति होती है जो जल में रखे जाते हैं। उस जल का सेवन करने से शरीर में कॉम्पिटिशन से महिलाओं की क्षमता पैदा हो जाती है और बीमारी नहीं होती। इसमें तुलसी के पत्ते डालने की परंपरा भी है जिससे इस जल की रोगनाशक क्षमता और बढ़ जाती है। तुलसी के पत्तों पर जल परिमाण में सरसों का दाना डूब जाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि तुलसी चरणामृत लेने से मेधा, बुद्धि, स्मरण शक्ति प्राप्त होती है। इसीलिए यह मान्यता है कि भगवान का चरणामृत औषधी के समान है। यदि इसमें तुलसी पत्र भी मिला दिया जाए तो उसके औषधीय गुणों में और भी वृद्धि हो जाती है। कहते हैं सीधे हाथ में तुलसी चरणामृत ग्रहण करने से हर शुभ कार्य या अच्छे काम का परिणाम जल्द मिलता है। इसलिए चरणामृत हमेशा सीधे हाथ से लेते हैं, लेकिन चरणमृत लेने के बाद ज्यादातर लोगों की यह आदत होती है कि वे अपने हाथ सिर पर फेरते हैं। चरणामृत लेने के बाद सिर पर हाथ रखना सही है या नहीं यह बहुत कम लोग जानते हैं? विशेष रूप से शास्त्रों के अनुसार चरणामृत लेकर सिर पर हाथ रखना नहीं माना जाता है। कहते हैं कि इस विचार में सकारात्मकता नहीं बल्कि नकारात्मकता बढ़ती जा रही है। इसीलिए चरणामृत लेकर कभी भी सिर पर हाथ फेरना नहीं चाहिए।” लेकिन चरणामृत लेने के बाद ज्यादातर लोगों की यह आदत होती है कि वे अपना हाथ सिर पर फेरते हैं। चरणामृत लेने के बाद सिर पर हाथ रखना सही है या नहीं यह बहुत कम लोग जानते हैं? विशेष रूप से शास्त्रों के अनुसार चरणामृत लेकर सिर पर हाथ रखना नहीं माना जाता है। कहते हैं कि इस विचार में सकारात्मकता नहीं बल्कि नकारात्मकता बढ़ती जा रही है। इसलिए चरणामृत लेकर कभी भी सिर पर हाथ फेरना नहीं चाहिए।”

लक्ष्मी माता के 18 पुत्रो के नाम 🙏🏻🙏🏻👇

1.ॐ देवसखाय नम: 2. ॐ चिक्लीताय नम:

भक्ति स्टोरी घरेलू नुस्खे आदि 🙏🌹