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1#12 ज्योर्तिलिंग के दर्शन 🙏🏻🙏🏻

    : 12 ज्योतिर्लिंग हमें कौनसी ऊर्जा व सीख देतें है
 ???
भगवन :12 सूर्य-12 लग्न-12 भाव 12 ज्योतिर्लिंग ऊर्जा के स्त्रोत 
51 शक्तिपीठ के साथ 12 ज्योतिर्लिंग है सनातन सिद्धअमृत स्तोत्र

1#माता लक्ष्मी जी की कथा 🙏🙏👇👇







माँ लक्ष्मी सुख, समृद्धि और धन की देवी हैं। जब लक्ष्मी माता का व्रत किया जाता है तो लक्ष्मी माता की कहानी का व्रत किया जाता है। लक्ष्मी माता के व्रत को 'वैभव लक्ष्मी व्रत' भी कहा जाता है। वैभव लक्ष्मी व्रत शुक्रवार के दिन मनाया जाता है। इस व्रत को स्त्री या पुरुष कोई भी कर सकता है। लक्ष्मी माता का व्रत रखने से सुख-समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।

उस दिन माता लक्ष्मी का व्रत किया जाता है और लक्ष्मी माता की कहानियां बताई जाती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं। जो भी मां लक्ष्मी के मन में विराजमान होती है, उस पर मां लक्ष्मी अपनी कृपा बरसाती हैं। व्रत वाले दिन कई लोग व्रत रखते हैं और शाम के समय व्रत करने वाले राजा और लक्ष्मी माता की कहानी कहते
। तो आइये जानते हैं लक्ष्मी माता की पावन कथा 
एक गांव में एक साहूकार रहता था। साहूकार की एक बेटी थी। वह हर रोज पीपल सींचने जाती थी। पीपल के पेड़ से लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं और चली गईं। एक दिन लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी से कहा - तू मेरी सहेली बन जा। तब लड़की ने कहा कि मैं अपने पिता से सवाल कलकर आऊंगी।
साहूकार की बेटी ने अपने पिता से सारी बात कह दी। तब उनके अनमोल वचन वह तो लक्ष्मी जी हैं। अपने को और क्या चाहिए तू लक्ष्मी जी की सहेली बन जा। दूसरे दिन वह लड़की फिर चली गई। तब लक्ष्मी जी पीपल के पेड़ से निकल कर आई और कहा दोस्त बन जा तो लड़की ने कहा, बन जाऊंगी और दोस्त बन गए दोस्त।

लक्ष्मी जी ने भोजन की न्युता दी। घर पर लड़की ने मां-बाप से कहा कि मेरी सहेली ने मुझे खाना खिलाया है। तब बाप ने कहा था कि दोस्त के जिमने जाकर घर को संभाल कर रखना। तब वह लक्ष्मी जी के यहां जिमने गए तो लक्ष्मी जी ने उन्हें शाल दुशाला ओढ़ने के लिए दिया, रुपये खाए, सोने की सब्जी, सोने की थाली में छत्तीस प्रकार के भोजन का (व्यंजन) कराया।
जीम कर जब वह जाने लगी तो लक्ष्मी जी ने पल्ला पकड़ लिया और कहा कि मैं भी तुझे घर जिमने आऊंगी। तो उसने कहा आ जाइयो. वह घर पर किरायेदार बैठाया गया। तब बाप ने पूछा कि कौन सी बेटी सहेली यहां जिमकर आ गई? और तू उदास क्यों है? तो उसने कहा मेरे को लक्ष्मी जी ने इतने सारे प्रकार के आहार दिए लेकिन मैं कैसे जिमाऊंगी?

आपके घर में तो कुछ भी नहीं है। तब उसके पिता ने कहा था कि गोबर मिट्टी से चौका लगाकर घर की सफाई कर ले। चार मुख वाले ने दिया चित्र, लक्ष्मीजी का नाम लेकर रसोई में बैठे। लड़की सफाई लेकर लोध लेकर बैठ गई। उसी समय एक रानी नहा रही थी। उसका नोलखा हार गया, उसे उठा लिया गया और उसके घर नौलखा हार गया, और उसका बच्चा ले गया।
बाद में वह खो गया और सामान बेचने लगा तो सूनर ने पूछा कि क्या करना चाहिए? तब उन्होंने कहा कि सोने की दुकान, सोने का थाल, शाल दुशाला दे दे, मोहर दे और सामग्री दे। छत्तीस प्रकार का भोजन हो जाए इतना सामान। साडी चीजें लेकर बहुत तैयारी की और बनाई गई तब गणेश जी ने कहा कि लक्ष्मी जी को बुलाओ।

आगे-आगे गणेशजी और पीछे-पीछे लक्ष्मीजी आई। उसने फिर से दुकान डाल दी और कहा, दोस्त की दुकान पर बैठ जाओ। जब लक्ष्मी जी ने कहा कि मेरे यहाँ तो राजा रानी के लिए भी कोई घर नहीं है, किसी के भी घर में नहीं है, तो उन्होंने कहा कि मेरे यहाँ तो तुम बैठो। फिर लक्ष्मीजी की दुकान स्थापित हुई। टैब वह बहुत एहसानमंद की। जैसी लक्ष्मी ने करी थी, वैसी ही करी।
लक्ष्मीजी उस पर प्रसन्न हो गईं। घर में धन और लक्ष्मी हो गयीं। साहूकार की बेटी ने कहा, मैं अभी आ रही हूं। तुम बेघर हो गए और वह चले गए। लक्ष्मीजी घर पर नहीं रहीं और होटल में रहीं। बहुत सारे टैग दिए। लक्ष्मीजी को साहूकार की बेटी के रूप में जाना जाता है। कथन कहें, हुंकारा भारते अपने सारे परिवार को दियो। पीहर में जाना, मुस्लिमों में जाना। बेटे को पॉट देना। हे लक्ष्मी माता ! सभी कष्ट दूर करना , दरिद्रता दूर करना , प्लांट मनोभाव पूर्ण करना ।
यह माता लक्ष्मी जी की कथा थी।
आशा करती हूं आपको पसंद आई होगी धन्यवाद 🙏

1#सावन सोमवार के दिन भोलेनाथ को इस कथा से करें प्रसन्‍न होगी हर मनोकामना पूरी 🙏🙏

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किसी भी प्रकार की विशेष पूजा नहीं की जा सकती। बाइबिल में कहा गया है कि वह तो भोले हैं और भत्रो के मन से निकले हुए क्षणिक गुण की भक्ति से ही वह प्रसन्न हो जाते हैं। अगर आप भी शिव की भक्ति और कृपा के लिए सावन सोमवार का व्रत करते हैं तो इस कथा से भोलेनाथ को प्रसन्न कर सकते हैं।
एक साहूकार था जो शिव का अनन्योतम भत्रोत था। उसके पास धन-धान्य से किसी भी चीज़ की कमी नहीं थी। लेकिन उसका बेटा नहीं था और वह यही चाहता था कि लेकर रोज शिवजी के मंदिर का दीपक जला दिया जाए। उनके इस भक्ति भाव को देखकर एक दिन माता पार्वती ने शिव जी से कहा था कि यह प्रभु साहूकार आपकी अनंत भतीजी है। इसी तरह किसी से भी बात की जाए तो आपको उसे अवश्‍य दूर करना चाहिए। शिव जी बोले कि हे पार्वती इस साहूकार के पास पुत्र नहीं है। यह इसी से दु:खी रहता है।
माता पार्वती ने कहा है कि प्रभु कृपा करके इसे पुत्र का गौरव प्रदान करें। तब भोलेनाथ ने कहा था कि हे पार्वती साहूकार के भाग्य में पुत्र का योग नहीं है। ऐसे में अगर इसे एक साल की बेटी की शोभा भी मिल गई तो वह सिर्फ 12 साल की उम्र तक ही जीवित रहेगी। यह सुनने के बाद भी माता पार्वती ने कहा था कि हे प्रभु आपको इस धनपति को पुत्र का वर देना ही होगा जो आपके पुत्र की सेवा-पूजा करेगा? माता के बार-बार आशीर्वाद से भोलेनाथ ने साहूकार को पुत्र का श्रृंगार दिया। परन्तु यह भी कहा, कि वह केवल 12 वर्ष तक जीवित रहेगा।
ख. वह सबसे पहले इसी तरह भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते रहते हैं। दूसरी सेठानी गर्भवती हुई और नवें महीने में उसे सुंदर से बच्चे की प्राप्ति हुई। परिवार में बहुत सारे हर्षोल्लास मनाए गए लेकिन साहूकार पहले ही की तरह रहे। और उसने बच्चे की 12 साल की उम्र का ज़िक्र किसी से भी नहीं किया। जब बच्चा 11 साल का हो गया तो एक दिन साहूकार की सेठानी से बच्चे की शादी के लिए कहा गया। तो साहूकार ने कहा कि उसने अभी भी बच्चों को पढ़ने के लिए काशीजी भेजा है। इसके बाद बालक की माँ जी को बुलाया गया और कहा गया कि इसे काशी पढ़ने के लिए ले जाओ और रास्ते में जो भी आश्रम में रुकना है, वहां यज्ञ करो और ब्राह्मणों को भोजन कराओ। कहावत भी इसी तरह करते जा रहे थे कि रास्ते में एक राजकुमारी से शादी हुई थी। जिससे उनकी शादी एक नजर से काना थी। तो उनके पिता ने जब अतिसुन्दर साहूकार के बेटे को देखा तो मन में आया कि बेटे न इसे ही घोड़ी पर उनकी सहायक शादी के सारे कार्य के लिए संप ने कहा .. तो स्टूडियो मामा से बात की और कहा कि इसके बदले में वह सारा धन ले जाएगा तो वह भी आश्वस्त हो गया।
इसके बाद साहूकार के बेटे की शादी की बेदी पर चर्चा हुई और जब विवाह कार्य संप को बुलाया गया तो जाने से पहले। इसके बाद वह मामा के साथ काशी के लिए चली गईं। उधर जब राजकुमार ने अपनी चुनी पर यह लिखा पाया तो उसने राजकुमार के साथ जाने से मन कर दिया। तो राजा ने भी अपनी बेटी को बारात के साथ विदा नहीं किया। बारात वापस लौट गई। तीसरे मामा और भांजे काशी जी पहुंच गए थे।
एक दिन जब मामा ने यज्ञ रचाया था और भांजा बहुत देर तक बाहर नहीं आया तो मामा ने अंदर देखा तो भांजे के प्राण निकल गए थे। वह बहुत परेशान थी लेकिन उसने सोचा कि अभी रोना-पीटना उद्योग तो ब्राह्मण चल देगा और यज्ञ का कार्य अधूरा रह जाएगा। जब यज्ञ संप का साक्षात्कार हुआ तो मामा ने रोना-पीटना शुरू कर दिया। उसी समय शिव-पार्वती उधर से जा रहे थे तो माता पार्वती ने शिव से कहा था कि वह प्रभु कौन आ रहे हैं, इतना ही पता चलता है कि यह तो भोलेनाथ के आर्शीवाद से जन्मा मां साहूकार का पुत्र है। तो उनका कहना है कि हे अनुरोधामी इसे जीवित कर दें, इसके माता-पिता के अंत-रोते प्राण निकल जायेंगे। तब भोलेनाथ ने कहा था कि हे पार्वती इसकी आयु इतनी थी तो उसने भोग चुकाया। लेकिन मां ने बार-बार भोलेनाथ से विनती कर उन्हें जीवित कर दिया। बालक ॐ नम: शिवाय करते हुए जी उठाओ और मामा-भांजे दोनों ने ईवैलर को धन्‍यवाद दिया और अपनी नगरी की ओर रुख किया। रास्ते में वे नगर भोज और राजकन्याओं ने पहचान पत्र लिया तब राजा ने राजमाता को धन-धान्य के साथ धन-धान्य के साथ एक दिन दिया जब मामा ने यज्ञ करवाया और भाँजा बहुत देर तक बाहर नहीं आया तो मामा ने अंदर दर्शकों को देखा तो भांजे के प्राण निकले हुए थे। वह बहुत परेशान थी लेकिन उसने सोचा कि अभी रोना-पीटना उद्योग तो ब्राह्मण चल देगा और यज्ञ का कार्य अधूरा रह जाएगा। जब यज्ञ संप का साक्षात्कार हुआ तो मामा ने रोना-पीटना शुरू कर दिया। उसी समय शिव-पार्वती उधर से जा रहे थे तो माता पार्वती ने शिव से कहा था कि वह प्रभु कौन आ रहे हैं, इतना ही पता चलता है कि यह तो भोलेनाथ के आर्शीवाद से जन्मा मां साहूकार का पुत्र है। तो उनका कहना है कि हे अनुरोधामी इसे जीवित कर दें, इसके माता-पिता के अंत-रोते प्राण निकल जायेंगे। तब भोलेनाथ ने कहा था कि हे पार्वती इसकी आयु इतनी ही थी सो वह भुगतान किया गया। लेकिन मां ने बार-बार भोलेनाथ से विनती कर उन्हें जीवित कर दिया। लड़के ओम नम: शिवाय करते हुए जी उठाओ और मामा-भांजे दोनों ने ईवैलर को धनयवाद दिया और अपनी नगरी की ओर रुख किया। रास्ते में वही नगर भोज और राजकुमारी ने पहचान पत्र लिया जिसमें राजा ने राजकुमारी को साहूकार के पुत्र के साथ बहुत सारा धन-धान के साथ रखा
विदा किया।

अन्य साहूकार और उसकी पाटनी छत पर बैठे थे। यह कर अनुरोध किया गया था कि यदि उनका बेटा सकुशल वापस नहीं लौटा तो वह छत से कूदकर अपना प्राण स्थापित कर देगा। उस लड़के के मामा ने सानिया साहूकार के बेटे और बहू के आने का समाचार दिया, लेकिन उन्होंने कोई शपथ नहीं ली, तो मामा ने शपथ ली, तब कहा तो दोनों को मिलाप हो गया और दोनों ने अपने बेटे-बहू का वादा किया। उसी रात साहूकार कंपनी ने शिव जी को दर्शन दिए और कहा कि तुम्हारे पूजन से मैं प्रसाद का दर्शन करता हूं। इसी प्रकार जो भी इलेक्ट्रोनिक इस कथा को पढ़ेगा या सुनेगा उसका समस्त दु:ख दूर हो जाएगा और सभी मनों का प्रसार होगा।
हर हर महादेव 🙏
पूर्ण लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद 🙏🙏🌷

1#सावन मास में इन मंत्रों का करें जाप, महाकाल होंगे प्रसन्न, रुके हुए काम भी हो जाएंगे पूरे 2023शुभ सोमवार 🙏👇

सावन का भगवान शिव को समर्पित है. इस महीने में भोलेनाथ की पूजा-पाठ करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है. ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसे मंत्र बताने जा रहे हैं, जो आपकी बंद किस्मत का दरवाजा खोल सकते हैं
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ओम।
हिंदू धर्म में सावन (सावन माह 2023 Kab Hai) के महीने का खास महत्व है. यह महीना भोलेनाथ को समर्पित होता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह पांचवा महीना होता है. मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव (Lord Shiva) की विधि-विधान से पूजन करने पर लोगों की हर मनोकामना पूरी होती है. इस साल अधिक मास के कारण सावन दो माह का होगा. सावन की शुरुआत 4 जुलाई से हो रही है, जो 31 अगस्त को समाप्त हो जाएगा. 
सावन के महीने में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त पूजा-पाठ आदि के साथ तरह-तरह के उपाय और टोटके अपनाते हैं. मान्यता है कि सावन के महीने में मंत्रों का जाप करना लाभकारी साबित हो सकता है. इन मंत्रों के जाप से व्यक्ति को हर काम में सफलता मिलती है. इसके साथ ही धन-दौलत, सुख-समृद्धि, नौकरी, विवाह आदि के साथ अच्छा स्वास्थ्य भी मिलेगा. ऐसे में आइये जानते हैं भगवान शिव के मंत्र 


सावन माह में करें इन मंत्रों का जाप
शिव पंचाक्षार मंत्र
मान्यता है कि भोलेनाथ ने स्वयं पंचाक्षर मंत्र की रचना की है-ऊं नम: शिवाय. इस मंत्र के जाप से हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल सकता है. 


महामृत्युंजय मंत्र
ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। 
ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।
रुद्र गायत्री मंत्र 
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥


इन मंत्रों का भी करें जाप
ॐ सर्वात्मने नम:
ॐ त्रिनेत्राय नम:
ॐ हराय नम:
ॐ इन्द्रमुखाय नम:
ॐ श्रीकंठाय नम:
ॐ वामदेवाय नम:
ॐ तत्पुरुषाय नम:
ॐ ईशानाय नम:
ॐ अनंतधर्माय नम:
ॐ ज्ञानभूताय नम:
ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नम:
ॐ प्रधानाय नम:
ॐ व्योमात्मने नम:
ॐ युक्तकेशात्मरूपाय नम
सावन सोमवार की( तारीख 2023 सावन सोमवार)
सावन का पहला सोमवार: 10 जुलाई
सावन का दूसरा सोमवार: 17 जुलाई
सावन का तीसरा सोमवार: 24 जुलाई
सावन का चौथा सोमवार: 31 जुलाई
सावन का पांचवा सोमवार: 07 अगस्त
सावन का छठा सोमवार:14 अगस्त
सावन का सातवां सोमवार: 21 अगस्त
सावन का आठवां सोमवार: 28 अगस्त
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय हर हर हर महादेव 🙏🙏
पूरा लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद आपका 🙏🙏

Vastu Tips: शाम के समय इस दिशा में जलाएं दीपक, मां लक्ष्मी की कृपा से मिलेगा खूब सारा पैसा🙏🙏👍👍👇👇🌷🌷🌻🌻

Maa Lakshmi ke Upay: घर में नियमित रूप से शाम के समय मुख्य द्वार पर दीपक जलाने से मां लक्ष्मी का आगमन होता है और घर पर सुख-समृद्धि बनी रहती है.किसी भी देश की संस्कृति उसकी आत्मा होती है। भारतीय संस्कृति की गरिमा अपार है। इस संस्कृति में आदिकाल से ऐसी सूक्ष्मजीवी चले आ रहे हैं, जिनके पीछे तात्त्विक महत्व एवं वैज्ञानिक रहस्य छिपा हुआ है।
हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले दीपक जलाया जाता है। सुबह-शाम होने वाली पूजा में भी दीपक जलाने की परंपरा है। वास्तु शास्त्र में दीपक जलाकर उसे रखने के संबंध में कई नियम बताए गए हैं। दीपक की लौ किस दिशा में जानी चाहिए, इस संबंध में ग्रंथ शास्त्र में पर्याप्त जानकारी मिलती है। अपने इष्ट को प्रसन्न करने के लिए हर धार्मिक रीति-रिवाज को पूरा करने के लिए अपने-अपने विधान भी हैं। हिंदू धर्म में यह बहुत मायने रखता है। कोई भी पूजा तब तक सफल नहीं हुई जब तक उसे विधिपूर्वक न किया गया। दीपावली को दीपोत्सव, प्रकाशोत्सव भी कहा जाता है धनतेरस से ही कार्तिक के कृष्णपक्ष की अंधेरी रात को जगमगाने की शुरुआत हो जाती है।
किसी भी शुभ कार्य से पहले दीपक जलाते समय इस मंत्र को बोलने से शीघ्र ही सफलता मिलती है-

दीपज्योति: परब्रह्म: दीपज्योति: जनार्दन:।
दीपोहरतिमे पापं ईदीपं नामोस्तुते।।
शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुखं सम्पदां।
शत्रु वृद्धि विनाशं च दीप्योति: नमोस्तुति।।


दीपक सिर्फ दीवाली पर ही नहीं जलाये जाते हैं बल्कि पूजा अर्जन सहित हर मांगलिक कार्यक्रम में दीपक जलाया जाता है। दीपक की लौ सिर्फ रोशनी का प्रतीक नहीं है बल्कि वह अज्ञानता का अंधकार को हटाकर ज्ञान के प्रकाश से जीवन को रोशन करने का प्रतीक है। दरिद्रता के तिमिर का नाश कर खुशियों से जीवन को जगमगा देने का प्रतीक है। नकारात्मकता से चौंधियाये अंधेरे मन में सकारात्मकता के प्रकाश की झलक की प्रतीक है। क्योंकि उसके सही दिशा में होने से ही शुभ फल प्राप्त होते हैं।

पूर्व और उत्तर दिशा में जहां दी गई आयु और धन में वृद्धि की मनोकामना पूरी तरह से होती है, वहीं पश्चिम और दक्षिण में दी गई लूत अशुभ भी मानी जाती है। पश्चिम में दिए गए नुकसान के कारण कष्टदायी होता है और आपको कष्ट सहने पर मजबूर होना पड़ सकता है। लेकिन दक्षिण में दिए गए गीत की लय रखना और घातक भी हो सकता है। इससे व्यक्ति या परिवार की बड़ी हानि उठानी पड़ सकती है, यह हानि जान-मालिक किसी के भी रूप में हो सकती हैं

 कुल मिलाकर दीपक या जला दियाना हर शुभ अवसर पर एक अनिवार्य परंपरा मानी जाती है, क्योंकि दीपक का मार्ग सही दिशा में होना प्राय: होता है।।

दीपक-मनुष्य के जीवन में चिह्न और प्रासंगिक का बहुत उपयोग होता है। भारतीय संस्कृति में मिट्टी के प्रदत्त में प्रज्जवलित ज्योत का बहुत महत्व है।

दीपक हमें अज्ञानता को दूर करके पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने का संदेश देता है। दीपक अंधकार दूर करता है। मिट्टी का दीया मिट्टी से बना मनुष्य शरीर का प्रतीक है और उसमें रहने वाला तेल अपनी जीवन शक्ति का प्रतीक है। मनुष्य अपनी जीवनशक्ति से परिश्रम करके संसार से अंधकार दूर करके ज्ञान का प्रकाश फैलाये ऐसा संदेश दीप हमें देता है। मंदिर में आरती करते समय दिया जलाने के पीछे यही भाव है कि भगवान हमारे मन से अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करके ज्ञानरूप प्रकाश फैलायें। गहरे अंधकार से प्रभु! परम प्रकाश की ओर ले चल रहा है।
दीपावली के पर्व के निमित्त लक्ष्मीपूजन में अमावस्या की अंधेरी रात में दीपक जलाने के पीछे भी इसका उद्देश्य छिपा हुआ है। घर में तुलसी के क्यारे के पास भी दीपक जलाये जाते हैं। किसी भी नयें कार्य की शुरुआत भी दीपक से ही होती है। अच्छे संस्कारी पुत्र को भी कुल-दीपक कहा जाता है। अपने वेद और शास्त्र भी हमें यही शिक्षा देते हैं- हे परमात्मा! अंधकार से प्रकाश की ओर, मृत्यु से अमरता की ओर आइए चलें। ज्योत से ज्योत वर्ल्डो इस आरती के पीछे भी यही विचार कर रहा है। यह भारतीय संस्कृति की गरिमा है।

आमतौर पर हम सभी अपने घर में पूजा करते हैं दीपक प्रज्वलित करते हैं। जो बहुत ही शुभ होते हैं। दीपक को रौशनी का, उजाले का तथा प्रकाश का प्रतीक माना जाता है। दीपक को मनुष्य के जीवन के कष्टों को दूर करने के लिए भी शुभ माना जाता है।
दीपक के प्रकार – दीपक कई प्रकार के होते हैं। जैसे – चाँदी के दीपक, मिटटी के दीपक, लोहे के दीपक, ताम्बे के दीपक, पीतल की धातु से बने हुए दीपक और मिटटी के दीपक से बनाए गए दीपक |कुछ लोग मिटटी के दीपक को अधिक शुभ मानते हैं तो वहीँ कुछ लोग सभी प्रकार की साधना की सिद्धि के लिए मूंग की दाल, चावल, गेहूं, उड़द की दाल और ज्वार आदि अनाजों को पीस कर उनमें से दीपक बनाते हैं और इसे ही पूजा करते हैं के लिए सबसे उत्तम मानते हैं।

घर की इन दिशाओं में दीपक लगाने से पूरी होती हैं सभी इच्छाएं—
लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दियों को इन दीपकों को जलाने की भी एक विधि है। अगर सही दिशा में दीपक की लौ न जलाई जाए तो इसका नकारात्मक प्रभाव भी हो सकता है। आइए जानते हैं इसके फायदे व नुक्सान के बारे में
–रोगों से मुक्ति के लिए प्रतिदिन सूर्य देव के चित्रपट या श्रीविग्रह के आगे दीपक मरते हैं।
—-श्रीकृष्ण के आगे दीपक लगाने से जीवन साथी की तलाश पूरी होती है।
—–रूक्मणी और श्रीकृष्ण के आगे दीपक बनने से मनभावन जीवन साथी मिलता है।
—–दीपक की दाईं दिशा की ओर धारण से आयु में वृद्धि होती है।
—– दीपक की दृष्टि दिशा पश्चिम की ओर देखने से दु:ख बढ़ रही है।
—- दीपक की लौ उत्तर दिशा की ओर स्थित होने से धन लाभ होने के योग बने हैं।
—– दीपक की लौ दिशा की और धारण से हानि होती है। यह हानि किसी व्यक्ति या धन के रूप में भी हो सकती है।
—बुरे सपनों का डर सतता है तो सोने से पहले हनुमान जी के पंचमुखी स्वरूप के आगे दिया जलाएं और हनुमान का पाठ करें।घर के मंदिर की उत्तर दिशा में धन के देवता कुबेर का स्वरूप स्थापित करें। किसी भी तरह की समस्या हो हर दिन जागरण से हल हो जाएगा।
—–घर और कार्यस्थान पर गणपति बप्पा का स्वरूप स्थापित करें। दिन की शुरुआत उनकी आगे लगे दीपक कर दें।
——राम दरबार के आगे प्रतिदिन दीपक लगाने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
आयु वृद्धि के लिए पूर्व दिशा में जलायें दीपक—
दीपक की लौ दिशा किसमें शुरू हुई इसके अनुसार वैसे तो ऋक्सिकता शास्त्र में काफी सारे नियम हैं लेकिन यह इस पर भी निरंतर करता है कि आप किस देवता की पूजा कर रहे हैं और उनके वासी कौन हैं दिशा में है। पूर्व दिशा के बारे में सभी जानते हैं। सूर्योदय की पहली किरणों के साथ ही नई आशाएं और आशाओं की किरणें भी फूटती हैं। पूर्व दिशा में यदि दीपक की लौकिक हो तो इससे आयु में विकास होता है।

धन लाभ के लिए दिए गए लौ हो उत्तर में—-
यदि आप अपने व्यवसाय में लाभ, वेतन में वृद्धि आदि धन लाभ के मनोकामना के लिए दीपक जला रहे हैं तो ध्यान दें इसकी लौ उत्तर दिशा हो। उत्तर दिशा में दिए गए विवरण के आधार पर धन में वृद्धि के लिए इसे लाभकारी माना जाता
जानिए आप अपने जीवन के कष्टों से निम्न प्रकार दीपक जलाकर मुक्ति पा सकते हैं –

1. अगर आपके घर में आर्थिक तंगी चल रही है, तो इस कड़ी से मुक्ति पाने के लिए आपको हर दिन अपने घर के देवालय में शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए। लाइव दीपक से घर की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

2. यदि आपके शत्रु आपको नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं तो इसके लिए आपको प्रतिदिन भैरव जी के सामने सरसों का तेल जलाना चाहिए। इस उपाय को करने से आपके विनाश से आपकी हानि होने के लिए नए प्रयास सफल नहीं होंगे।
3. सूर्य देवता को प्रसन्न करने के लिए भी आपको हर रोज सरसों का दीपक जलाना चाहिए। इस उपाय को करने से आपके घर में हमेशा सूर्य देवता की कृपा बनी रहती है।

4. यदि आपका शनि ग्रह कमजोर है तो आपको नियमपूर्वक शनि ग्रह को प्रसन्न करने के लिए तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

5. अपने पति की लंबी उम्र की मनोकामना को पूरा करने के लिए महिलाओं को अपने घर के मंदिर में महुए के तेल का दीपक प्रज्वलित करना चाहिए।

6. अगर किसी व्यक्ति के राहु और केतु दोनों योजनाओं की स्थिति खराब हो तो उसे रोजाना मंदिर में अलसी के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इस उपाय को करने से राहु और केतु ग्रह शांत हो जाते हैं।

7. घर या मंदिर में किसी भी देवी या देवता की पूजा करते समय फूल, अगरबत्ती, शुद्ध गाय के घी या तिल के तेल का दीपक अवश्य जलाना चाहिए

8. गणेश भगवान की कृपा आप पर हमेशा बनी रही इसके लिए आपको प्रतिदिन गणेश की मूर्ति या तस्वीर के आगे तीन बत्तियों वाले झींगे का दीपक जलाना चाहिए।

9. भैरव देवता की पूजा करने के लिए और उन्हें प्रसन्न करने के लिए चार प्रमुख सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इस उपाय को करने से व्यक्ति के जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।

10. किसी मामले को या प्रमाण को जीतने के लिए भी दीपक को जलाना शुभ होता है। किसी भी दोष में जीत हासिल करने के लिए भगवान के आगे पांच मुखी दीपक जलायें।

11. कार्तिक भगवान को प्रसन्न होने के लिए भी दिन के पांच मुख वाले दीपक प्रज्वलित करना चाहिए।

12. लक्ष्मी जी की कृपा हमेशा घर पर बनी रहें। इसके लिए हमें लक्ष्मी जी के विभिन्न सात मुख वाला दीपक जलाना चाहिए।
13. शिव भगवान को प्रसन्न करने के लिए आप बारहवें या आठवें वाले दीपक जला सकते हैं। इसके साथ ही सरसों के तेल का एक दीपक जलाना शुभ माना जाता है।

14. विष्णु भगवान को प्रसन्न करने के लिए उनके सामने प्रतिदिन सोलह बत्तियों का दीपक जलाना चाहिए। यदि आप विष्णु भगवान के दशावतार की पूजा करते हैं तो उन्हें प्रसन्न करने के लिए दस मुख वाले दीपक को जलाना चाहिए।

15. इष्ट सिद्धि के लिए तथा ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक गहरा और गोल दीपक प्रज्वलित करना चाहिए।

16. अपने विनाश को नष्ट करने के लिए और किसी भी विरोधी को रोकने के लिए मध्य से ऊपर की ओर उठते हुए दीपक का प्रयोग जलाने के लिए चाहिए।

17. धन प्राप्ति के लिए सामान्य दीपक का प्रयोग 
18. संकटहरण हनुमान जी की पूजा करने के लिए तथा उनकी कृपा आप पर सदा बनी रहे इसके लिए तीन कोनो वाले दीपक का प्रयोग जलाने के लिए देना चाहिए। हनुमान जी आराधना करने के लिए दीपक को जलाने के लिए चमेली के तेल का प्रयोग अवश्य करना चाहिए।

19. आश्रम और देवालय में अखंड ज्योत जलाने के लिए शुद्ध गाय के घी और तिल के तेल का प्रयोग करना चाहिए।
अगर आपकी इच्छा पूरी तरह से घूमने के लिए आपको भगवान के आगे कैसा दीपक जलाना चाहिए। जिससे आपकी पूरी इच्छाए जल्दी ही पूरी तरह से हो जाती है।माना जाता है कि हर भगवान का संबंध किसी न किसी विशेष वस्तु या इच्छा से होता है। अगर अपनी इच्छा या मनोकामना के अनुसार संबंधित भगवान की मूर्ति को पूजा घर में स्थापित करके, रोज उन्हें दीपक दिया जाए तो आपकी पूरी इच्छाए और मनोकामनाए निश्चित रूप से पूरी होती है। रुका धन पाने से लेकर प्यार तक, बिजनेस में जिम्मेवारी से लेकर स्थिति से छुटकारा पाया जा सकता है।
1.प्यार के लिए भगवान कृष्ण जी- अगर आपको भी अपने दोस्तों या अपने जीवन के साथियों से प्यार पाने की इच्छा हो, तो घर के मंदिर में भगवान कृष्ण की मूर्ति स्थापित कर उनकी पूजा करनी चाहिए। इससे आपकी ये इच्छा पूरी हो सकती है।

2. दावे से मुक्ति पाने के लिए भगवान सूर्य- यदि आप दायित्व से परेशान हैं तो आपको अपने घर के मंदिर में भगवान सूर्य की मूर्ति स्थापित करके या तस्वीर रोज उनकी मूर्ति या तस्वीर पर जल चढ़ाना चाहिए और दीपक जलाना चाहिए।
प्रावक्ता
घर कला-संस्कृति जानिए घर की किस दिशा में दीपक लगाने से पूरी होती हैं...
कला-संस्कृतिधर्म-अध्यात्म
जानिए घर की किस दिशा में दीपक लगाने से पूरी होती हैं आपका मनोकामना/विश—
द्वारा पंडित दयानंद शास्त्री- अप्रैल 28, 2017010422

सही मायने में भारतीय संस्कृति की संचारकों में दीपक का इतना महत्व क्यों है?

किसी भी देश की संस्कृति उसकी आत्मा होती है। भारतीय संस्कृति की गरिमा अपार है। इस संस्कृति में आदिकाल से ऐसी सूक्ष्मजीवी चले आ रहे हैं, जिनके पीछे तात्त्विक महत्व एवं वैज्ञानिक रहस्य छिपा हुआ है।
हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले दीपक जलाया जाता है। सुबह-शाम होने वाली पूजा में भी दीपक जलाने की परंपरा है। वास्तु शास्त्र में दीपक जलाकर उसे रखने के संबंध में कई नियम बताए गए हैं। दीपक की लौ किस दिशा में जानी चाहिए, इस संबंध में ग्रंथ शास्त्र में पर्याप्त जानकारी मिलती है। अपने इष्ट को प्रसन्न करने के लिए हर धार्मिक रीति-रिवाज को पूरा करने के लिए अपने-अपने विधान भी हैं। हिंदू धर्म में यह बहुत मायने रखता है। कोई भी पूजा तब तक सफल नहीं हुई जब तक उसे विधिपूर्वक न किया गया। दीपावली को दीपोत्सव, प्रकाशोत्सव भी कहा जाता है धनतेरस से ही कार्तिक के कृष्णपक्ष की अंधेरी रात को जगमगाने की शुरुआत हो जाती है।
किसी भी शुभ कार्य से पहले दीपक जलाते समय इस मंत्र को बोलने से शीघ्र ही सफलता मिलती है-


दीपज्योति: परब्रह्म: दीपज्योति: जनार्दन:।
दीपोहरतिमे पापं ईदीपं नामोस्तुते।।
शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुखं सम्पदां।
शत्रु वृद्धि विनाशं च दीप्योति: नमोस्तुति।।


दीपक सिर्फ दीवाली पर ही नहीं जलाये जाते हैं बल्कि पूजा अर्जन सहित हर मांगलिक कार्यक्रम में दीपक जलाया जाता है। दीपक की लौ सिर्फ रोशनी का प्रतीक नहीं है बल्कि वह अज्ञानता का अंधकार को हटाकर ज्ञान के प्रकाश से जीवन को रोशन करने का प्रतीक है। दरिद्रता के तिमिर का नाश कर खुशियों से जीवन को जगमगा देने का प्रतीक है। नकारात्मकता से चौंधियाये अंधेरे मन में सकारात्मकता के प्रकाश की झलक की प्रतीक है। क्योंकि उसके सही दिशा में होने से ही शुभ फल प्राप्त होते हैं।

पूर्व और उत्तर दिशा में जहां दी गई आयु और धन में वृद्धि की मनोकामना पूरी तरह से होती है, वहीं पश्चिम और दक्षिण में दी गई लूत अशुभ भी मानी जाती है। पश्चिम में दिए गए नुकसान के कारण कष्टदायी होता है और आपको कष्ट सहने पर मजबूर होना पड़ सकता है। लेकिन दक्षिण में दिए गए गीत की लय रखना और घातक भी हो सकता है। इससे व्यक्ति या परिवार की बड़ी हानि उठानी पड़ सकती है, यह हानि जान-मालिक किसी के भी रूप में हो सकती है।
कुल मिलाकर दीपक या जला दियाना हर शुभ अवसर पर एक अनिवार्य परंपरा मानी जाती है, क्योंकि दीपक का मार्ग सही दिशा में होना प्राय: होता है।।

दीपक-

मनुष्य के जीवन में चिह्न और प्रासंगिक का बहुत उपयोग होता है। भारतीय संस्कृति में मिट्टी के प्रदत्त में प्रज्जवलित ज्योत का बहुत महत्व है।

दीपक हमें अज्ञानता को दूर करके पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने का संदेश देता है। दीपक अंधकार दूर करता है। मिट्टी का दीया मिट्टी से बना मनुष्य शरीर का प्रतीक है और उसमें रहने वाला तेल अपनी जीवन शक्ति का प्रतीक है। मनुष्य अपनी जीवनशक्ति से परिश्रम करके संसार से अंधकार दूर करके ज्ञान का प्रकाश फैलाये ऐसा संदेश दीप हमें देता है। मंदिर में आरती करते समय दिया जलाने के पीछे यही भाव है कि भगवान हमारे मन से अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करके ज्ञानरूप प्रकाश फैलायें। गहरे अंधकार से प्रभु! परम प्रकाश की ओर ले चल रहा है।


दीपावली के पर्व के निमित्त लक्ष्मीपूजन में अमावस्या की अंधेरी रात में दीपक जलाने के पीछे भी इसका उद्देश्य छिपा हुआ है। घर में तुलसी के क्यारे के पास भी दीपक जलाये जाते हैं। किसी भी नयें कार्य की शुरुआत भी दीपक से ही होती है। अच्छे संस्कारी पुत्र को भी कुल-दीपक कहा जाता है। अपने वेद और शास्त्र भी हमें यही शिक्षा देते हैं- हे परमात्मा! अंधकार से प्रकाश की ओर, मृत्यु से अमरता की ओर आइए चलें। ज्योत से ज्योत वर्ल्डो इस आरती के पीछे भी यही विचार कर रहा है। यह भारतीय संस्कृति की गरिमा है।

आमतौर पर हम सभी अपने घर में पूजा करते हैं दीपक प्रज्वलित करते हैं। जो बहुत ही शुभ होते हैं। दीपक को रौशनी का, उजाले का तथा प्रकाश का प्रतीक माना जाता है। दीपक को मनुष्य के जीवन के कष्टों को दूर करने के लिए भी शुभ माना जाता है।
दीपक के प्रकार – दीपक कई प्रकार के होते हैं। जैसे – चाँदी के दीपक, मिटटी के दीपक, लोहे के दीपक, ताम्बे के दीपक, पीतल की धातु से बने हुए दीपक और मिटटी के दीपक से बनाए गए दीपक |

कुछ लोग मिटटी के दीपक को अधिक शुभ मानते हैं तो वहीँ कुछ लोग सभी प्रकार की साधना की सिद्धि के लिए मूंग की दाल, चावल, गेहूं, उड़द की दाल और ज्वार आदि अनाजों को पीस कर उनमें से दीपक बनाते हैं और इसे ही पूजा करते हैं के लिए सबसे उत्तम मानते हैं।

घर की इन दिशाओं में दीपक लगाने से पूरी होती हैं सभी इच्छाएं—
लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दियों को इन दीपकों को जलाने की भी एक विधि है। अगर सही दिशा में दीपक की लौ न जलाई जाए तो इसका नकारात्मक प्रभाव भी हो सकता है। आइए जानते हैं इसके फायदे व नुक्सान के बारे में—


—–रोगों से मुक्ति के लिए प्रतिदिन सूर्य देव के चित्रपट या श्रीविग्रह के आगे दीपक मरते हैं।
—-श्रीकृष्ण के आगे दीपक लगाने से जीवन साथी की तलाश पूरी होती है।
—–रूक्मणी और श्रीकृष्ण के आगे दीपक बनने से मनभावन जीवन साथी मिलता है।
—–दीपक की दाईं दिशा की ओर धारण से आयु में वृद्धि होती है।
—– दीपक की दृष्टि दिशा पश्चिम की ओर देखने से दु:ख बढ़ रही है।
—- दीपक की लौ उत्तर दिशा की ओर स्थित होने से धन लाभ होने के योग बने हैं।
—– दीपक की लौ दिशा की और धारण से हानि होती है। यह हानि किसी व्यक्ति या धन के रूप में भी हो सकती है।
—बुरे सपनों का डर सतता है तो सोने से पहले हनुमान जी के पंचमुखी स्वरूप के आगे दिया जलाएं और हनुमान का पाठ करें।
——घर के मंदिर की उत्तर दिशा में धन के देवता कुबेर का स्वरूप स्थापित करें। किसी भी तरह की समस्या हो हर दिन जागरण से हल हो जाएगा।
—–घर और कार्यस्थान पर गणपति बप्पा का स्वरूप स्थापित करें। दिन की शुरुआत उनकी आगे लगे दीपक कर दें।
——राम दरबार के आगे प्रतिदिन दीपक लगाने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

आयु वृद्धि के लिए पूर्व दिशा में जलायें दीपक—
दीपक की लौ दिशा किसमें शुरू हुई इसके अनुसार वैसे तो ऋक्सिकता शास्त्र में काफी सारे नियम हैं लेकिन यह इस पर भी निरंतर करता है कि आप किस देवता की पूजा कर रहे हैं और उनके वासी कौन हैं दिशा में है। पूर्व दिशा के बारे में सभी जानते हैं। सूर्योदय की पहली किरणों के साथ ही नई आशाएं और आशाओं की किरणें भी फूटती हैं। पूर्व दिशा में यदि दीपक की लौकिक हो तो इससे आयु में विकास होता है।

धन लाभ के लिए दिए गए लौ हो उत्तर में—-
यदि आप अपने व्यवसाय में लाभ, वेतन में वृद्धि आदि धन लाभ के मनोकामना के लिए दीपक जला रहे हैं तो ध्यान दें इसकी लौ उत्तर दिशा हो। उत्तर दिशा में दिए गए विवरण के आधार पर धन में वृद्धि के लिए इसे लाभकारी माना जाता है।
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जानिए आप अपने जीवन के कष्टों से निम्न प्रकार दीपक जलाकर मुक्ति पा सकते हैं –

1. अगर आपके घर में आर्थिक तंगी चल रही है, तो इस कड़ी से मुक्ति पाने के लिए आपको हर दिन अपने घर के देवालय में शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए। लाइव दीपक से घर की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

2. यदि आपके शत्रु आपको नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं तो इसके लिए आपको प्रतिदिन भैरव जी के सामने सरसों का तेल जलाना चाहिए। इस उपाय को करने से आपके विनाश से आपकी हानि होने के लिए नए प्रयास सफल नहीं होंगे।


3. सूर्य देवता को प्रसन्न करने के लिए भी आपको हर रोज सरसों का दीपक जलाना चाहिए। इस उपाय को करने से आपके घर में हमेशा सूर्य देवता की कृपा बनी रहती है।


4. यदि आपका शनि ग्रह कमजोर है तो आपको नियमपूर्वक शनि ग्रह को प्रसन्न करने के लिए तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

5. अपने पति की लंबी उम्र की मनोकामना को पूरा करने के लिए महिलाओं को अपने घर के मंदिर में महुए के तेल का दीपक प्रज्वलित करना चाहिए।

6. अगर किसी व्यक्ति के राहु और केतु दोनों योजनाओं की स्थिति खराब हो तो उसे रोजाना मंदिर में अलसी के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इस उपाय को करने से राहु और केतु ग्रह शांत हो जाते हैं।

7. घर या मंदिर में किसी भी देवी या देवता की पूजा करते समय फूल, अगरबत्ती, शुद्ध गाय के घी या तिल के तेल का दीपक अवश्य जलाना चाहिए

8. गणेश भगवान की कृपा आप पर हमेशा बनी रही इसके लिए आपको प्रतिदिन गणेश की मूर्ति या तस्वीर के आगे तीन बत्तियों वाले झींगे का दीपक जलाना चाहिए।

9. भैरव देवता की पूजा करने के लिए और उन्हें प्रसन्न करने के लिए चार प्रमुख सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इस उपाय को करने से व्यक्ति के जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।

10. किसी मामले को या प्रमाण को जीतने के लिए भी दीपक को जलाना शुभ होता है। किसी भी दोष में जीत हासिल करने के लिए भगवान के आगे पांच मुखी दीपक जलायें।

11. कार्तिक भगवान को प्रसन्न होने के लिए भी दिन के पांच मुख वाले दीपक प्रज्वलित करना चाहिए।

12. लक्ष्मी जी की कृपा हमेशा घर पर बनी रहें। इसके लिए हमें लक्ष्मी जी के विभिन्न सात मुख वाला दीपक जलाना चाहिए।

13. शिव भगवान को प्रसन्न करने के लिए आप बारहवें या आठवें वाले दीपक जला सकते हैं। इसके साथ ही सरसों के तेल का एक दीपक जलाना शुभ माना जाता है।

14. विष्णु भगवान को प्रसन्न करने के लिए उनके सामने प्रतिदिन सोलह बत्तियों का दीपक जलाना चाहिए। यदि आप विष्णु भगवान के दशावतार की पूजा करते हैं तो उन्हें प्रसन्न करने के लिए दस मुख वाले दीपक को जलाना चाहिए।

15. इष्ट सिद्धि के लिए तथा ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक गहरा और गोल दीपक प्रज्वलित करना चाहिए।

16. अपने विनाश को नष्ट करने के लिए और किसी भी विरोधी को रोकने के लिए मध्य से ऊपर की ओर उठते हुए दीपक का प्रयोग जलाने के लिए चाहिए।

17. धन प्राप्ति के लिए सामान्य दीपक का प्रयोग लक्ष्मी जी की पूजा करने के लिए करना चाहिए।

18. संकटहरण हनुमान जी की पूजा करने के लिए तथा उनकी कृपा आप पर सदा बनी रहे इसके लिए तीन कोनो वाले दीपक का प्रयोग जलाने के लिए देना चाहिए। हनुमान जी आराधना करने के लिए दीपक को जलाने के लिए चमेली के तेल का प्रयोग अवश्य करना चाहिए।

19. आश्रम और देवालय में अखंड ज्योत जलाने के लिए शुद्ध गाय के घी और तिल के तेल का प्रयोग करना चाहिए।
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अगर आपकी इच्छा पूरी तरह से घूमने के लिए आपको भगवान के आगे कैसा दीपक जलाना चाहिए। जिससे आपकी पूरी इच्छाए जल्दी ही पूरी तरह से हो जाती है।माना जाता है कि हर भगवान का संबंध किसी न किसी विशेष वस्तु या इच्छा से होता है। अगर अपनी इच्छा या मनोकामना के अनुसार संबंधित भगवान की मूर्ति को पूजा घर में स्थापित करके, रोज उन्हें दीपक दिया जाए तो आपकी पूरी इच्छाए और मनोकामनाए निश्चित रूप से पूरी होती है। रुका धन पाने से लेकर प्यार तक, बिजनेस में जिम्मेवारी से लेकर स्थिति से छुटकारा पाया जा सकता है।
1.प्यार के लिए भगवान कृष्ण जी- अगर आपको भी अपने दोस्तों या अपने जीवन के साथियों से प्यार पाने की इच्छा हो, तो घर के मंदिर में भगवान कृष्ण की मूर्ति स्थापित कर उनकी पूजा करनी चाहिए। इससे आपकी ये इच्छा पूरी हो सकती है।

2. दावे से मुक्ति पाने के लिए भगवान सूर्य- यदि आप दायित्व से परेशान हैं तो आपको अपने घर के मंदिर में भगवान सूर्य की मूर्ति स्थापित करके या तस्वीर रोज उनकी मूर्ति या तस्वीर पर जल चढ़ाना चाहिए और दीपक जलाना चाहिए।


3. अटका हुआ धन पाने के लिए भगवान कुबेर- ये तो हम सभी जानते हैं कि भगवान कुबेर को धन का देवता माना जाता है। अगर आपका भी धन कही अटका है तो अटका हुआ धन पाने के लिए घर के मंदिर की दिशा में भगवान कुबेर की मूर्ति स्थापित कर रोज दीपक जलाना चाहिए।

4. परीक्षाओं में सफलता पाने के लिए मां सरस्वती- अगर आपको अपनी परीक्षाओं की भी चिंता है और परीक्षा में सफलता पाना चाहते हैं तो अपने कमरे में मां सरस्वती की मूर्ति स्थापित करके या तस्वीर रोज दिया जाना चाहिए।

5. व्यवसाय में शेयरिंग करने के लिए भगवान गणेश- बिजनेस में जॉब के लिए भगवान गणेश की मूर्ति घर या दूकान के मंदिर में स्थापित करें, रोज उन्हें दीपक या अगरबत्ती लगाएं। इससे आपके व्यवसाय में टैक्सी मिल सकती है।

6. परिवार में सुख-शांति के लिए श्री राम जी- अगर आप भी अपने घर-परिवार में हमेशा सुख-शांति और प्यार बनाए रखना चाहते हैं तो उसके लिए भगवान राम सहित लक्ष्मण और देवी सीता की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए और उनकी पूजा करनी चाहिए चाहिए।

7. बुरे सपनो से छुटकारा पाने के लिए भगवान हनुमान- जिन लोगो को डरावने या बुरे सपनो से दूर करें हो, उन्हें भगवान हनुमान की पंचमुखी स्वरूप की तस्वीर रोज उनकी पूजा करनी चाहिए।
झबरा खत्म करने के लिए भगवान शिव जी-जिन लोगो के अपने घर-परिवार के लोगो या मित्रों के बीच झिलमिलाहट खत्म करने की इच्छा हो, उन्हें घर के मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करनी चाहिए।
Thanks please full article read 🙏👍🌹🌹

सोमवार व्रत कथा पढ़ें या सुनें, मिलेगी श‍िव-पार्वती की कृपा 🙏🙏🌹🌹🌷🌷👌👌🥀🥀👇👇

बाबा भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए आप भी सोमवार का व्रत कर रहे हैं, तो शिव व्रत कथा को पढ़कर या सुनकर इस उपवास को पूर्ण करें...
बाबा भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए आप भी सोमवार का व्रत कर रहे हैं, तो शिव व्रत कथा को पढ़कर या सुनकर इस उपवास को पूर्ण करें...

सोमवार व्रत की विधि:
नारद पुराण के अनुसार सोमवार व्रत में व्यक्ति को प्रातः स्नान करके शिव जी को जल और बेल पत्र चढ़ाना चाहिए तथा शिव-गौरी की पूजा करनी चाहिए. शिव पूजन के बाद सोमवार व्रत कथा सुननी चाहिए. इसके बाद केवल एक समय ही भोजन करना चाहिए. साधारण रूप से सोमवार का व्रत दिन के तीसरे पहर तक होता है. मतलब शाम तक रखा जाता है. सोमवार व्रत तीन प्रकार का होता है प्रति सोमवार व्रत, सौम्य प्रदोष व्रत और सोलह सोमवार का व्रत. इन सभी व्रतों के लिए एक ही विधि होती है.
व्रत कथा:
एक समय की बात है, किसी नगर में एक साहूकार रहता था. उसके घर में धन की कोई कमी नहीं थी लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी इस कारण वह बहुत दुखी था. पुत्र प्राप्ति के लिए वह प्रत्येक सोमवार व्रत रखता था और पूरी श्रद्धा के साथ शिव मंदिर जाकर भगवान शिव और पार्वती जी की पूजा करता था.
इधर साहूकार और उसकी पत्नी भूखे-प्यासे रहकर बेटे की प्रतीक्षा कर रहे थे. उन्होंने प्रण कर रखा था कि यदि उन्हें अपने बेटे की मृत्यु का समाचार मिला तो वह भी प्राण त्याग देंगे परंतु अपने बेटे के जीवित होने का समाचार पाकर वह बेहद प्रसन्न हुए. उसी रात भगवान शिव ने व्यापारी के स्वप्न में आकर कहा- हे श्रेष्ठी, मैंने तेरे सोमवार के व्रत करने और व्रतकथा सुनने से प्रसन्न होकर तेरे पुत्र को लम्बी आयु प्रदान की है. इसी प्रकार जो कोई सोमवार व्रत करता है या कथा सुनता और पढ़ता है उसके सभी दुख दूर होते हैं और समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
कृपया लेख पूरा पढ़ें 🙏🙏

लक्ष्मी माता के 18 पुत्रो के नाम 🙏🏻🙏🏻👇

1.ॐ देवसखाय नम: 2. ॐ चिक्लीताय नम:

भक्ति स्टोरी घरेलू नुस्खे आदि 🙏🌹