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1#सावन सोमवार के दिन भोलेनाथ को इस कथा से करें प्रसन्‍न होगी हर मनोकामना पूरी 🙏🙏

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किसी भी प्रकार की विशेष पूजा नहीं की जा सकती। बाइबिल में कहा गया है कि वह तो भोले हैं और भत्रो के मन से निकले हुए क्षणिक गुण की भक्ति से ही वह प्रसन्न हो जाते हैं। अगर आप भी शिव की भक्ति और कृपा के लिए सावन सोमवार का व्रत करते हैं तो इस कथा से भोलेनाथ को प्रसन्न कर सकते हैं।
एक साहूकार था जो शिव का अनन्योतम भत्रोत था। उसके पास धन-धान्य से किसी भी चीज़ की कमी नहीं थी। लेकिन उसका बेटा नहीं था और वह यही चाहता था कि लेकर रोज शिवजी के मंदिर का दीपक जला दिया जाए। उनके इस भक्ति भाव को देखकर एक दिन माता पार्वती ने शिव जी से कहा था कि यह प्रभु साहूकार आपकी अनंत भतीजी है। इसी तरह किसी से भी बात की जाए तो आपको उसे अवश्‍य दूर करना चाहिए। शिव जी बोले कि हे पार्वती इस साहूकार के पास पुत्र नहीं है। यह इसी से दु:खी रहता है।
माता पार्वती ने कहा है कि प्रभु कृपा करके इसे पुत्र का गौरव प्रदान करें। तब भोलेनाथ ने कहा था कि हे पार्वती साहूकार के भाग्य में पुत्र का योग नहीं है। ऐसे में अगर इसे एक साल की बेटी की शोभा भी मिल गई तो वह सिर्फ 12 साल की उम्र तक ही जीवित रहेगी। यह सुनने के बाद भी माता पार्वती ने कहा था कि हे प्रभु आपको इस धनपति को पुत्र का वर देना ही होगा जो आपके पुत्र की सेवा-पूजा करेगा? माता के बार-बार आशीर्वाद से भोलेनाथ ने साहूकार को पुत्र का श्रृंगार दिया। परन्तु यह भी कहा, कि वह केवल 12 वर्ष तक जीवित रहेगा।
ख. वह सबसे पहले इसी तरह भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते रहते हैं। दूसरी सेठानी गर्भवती हुई और नवें महीने में उसे सुंदर से बच्चे की प्राप्ति हुई। परिवार में बहुत सारे हर्षोल्लास मनाए गए लेकिन साहूकार पहले ही की तरह रहे। और उसने बच्चे की 12 साल की उम्र का ज़िक्र किसी से भी नहीं किया। जब बच्चा 11 साल का हो गया तो एक दिन साहूकार की सेठानी से बच्चे की शादी के लिए कहा गया। तो साहूकार ने कहा कि उसने अभी भी बच्चों को पढ़ने के लिए काशीजी भेजा है। इसके बाद बालक की माँ जी को बुलाया गया और कहा गया कि इसे काशी पढ़ने के लिए ले जाओ और रास्ते में जो भी आश्रम में रुकना है, वहां यज्ञ करो और ब्राह्मणों को भोजन कराओ। कहावत भी इसी तरह करते जा रहे थे कि रास्ते में एक राजकुमारी से शादी हुई थी। जिससे उनकी शादी एक नजर से काना थी। तो उनके पिता ने जब अतिसुन्दर साहूकार के बेटे को देखा तो मन में आया कि बेटे न इसे ही घोड़ी पर उनकी सहायक शादी के सारे कार्य के लिए संप ने कहा .. तो स्टूडियो मामा से बात की और कहा कि इसके बदले में वह सारा धन ले जाएगा तो वह भी आश्वस्त हो गया।
इसके बाद साहूकार के बेटे की शादी की बेदी पर चर्चा हुई और जब विवाह कार्य संप को बुलाया गया तो जाने से पहले। इसके बाद वह मामा के साथ काशी के लिए चली गईं। उधर जब राजकुमार ने अपनी चुनी पर यह लिखा पाया तो उसने राजकुमार के साथ जाने से मन कर दिया। तो राजा ने भी अपनी बेटी को बारात के साथ विदा नहीं किया। बारात वापस लौट गई। तीसरे मामा और भांजे काशी जी पहुंच गए थे।
एक दिन जब मामा ने यज्ञ रचाया था और भांजा बहुत देर तक बाहर नहीं आया तो मामा ने अंदर देखा तो भांजे के प्राण निकल गए थे। वह बहुत परेशान थी लेकिन उसने सोचा कि अभी रोना-पीटना उद्योग तो ब्राह्मण चल देगा और यज्ञ का कार्य अधूरा रह जाएगा। जब यज्ञ संप का साक्षात्कार हुआ तो मामा ने रोना-पीटना शुरू कर दिया। उसी समय शिव-पार्वती उधर से जा रहे थे तो माता पार्वती ने शिव से कहा था कि वह प्रभु कौन आ रहे हैं, इतना ही पता चलता है कि यह तो भोलेनाथ के आर्शीवाद से जन्मा मां साहूकार का पुत्र है। तो उनका कहना है कि हे अनुरोधामी इसे जीवित कर दें, इसके माता-पिता के अंत-रोते प्राण निकल जायेंगे। तब भोलेनाथ ने कहा था कि हे पार्वती इसकी आयु इतनी थी तो उसने भोग चुकाया। लेकिन मां ने बार-बार भोलेनाथ से विनती कर उन्हें जीवित कर दिया। बालक ॐ नम: शिवाय करते हुए जी उठाओ और मामा-भांजे दोनों ने ईवैलर को धन्‍यवाद दिया और अपनी नगरी की ओर रुख किया। रास्ते में वे नगर भोज और राजकन्याओं ने पहचान पत्र लिया तब राजा ने राजमाता को धन-धान्य के साथ धन-धान्य के साथ एक दिन दिया जब मामा ने यज्ञ करवाया और भाँजा बहुत देर तक बाहर नहीं आया तो मामा ने अंदर दर्शकों को देखा तो भांजे के प्राण निकले हुए थे। वह बहुत परेशान थी लेकिन उसने सोचा कि अभी रोना-पीटना उद्योग तो ब्राह्मण चल देगा और यज्ञ का कार्य अधूरा रह जाएगा। जब यज्ञ संप का साक्षात्कार हुआ तो मामा ने रोना-पीटना शुरू कर दिया। उसी समय शिव-पार्वती उधर से जा रहे थे तो माता पार्वती ने शिव से कहा था कि वह प्रभु कौन आ रहे हैं, इतना ही पता चलता है कि यह तो भोलेनाथ के आर्शीवाद से जन्मा मां साहूकार का पुत्र है। तो उनका कहना है कि हे अनुरोधामी इसे जीवित कर दें, इसके माता-पिता के अंत-रोते प्राण निकल जायेंगे। तब भोलेनाथ ने कहा था कि हे पार्वती इसकी आयु इतनी ही थी सो वह भुगतान किया गया। लेकिन मां ने बार-बार भोलेनाथ से विनती कर उन्हें जीवित कर दिया। लड़के ओम नम: शिवाय करते हुए जी उठाओ और मामा-भांजे दोनों ने ईवैलर को धनयवाद दिया और अपनी नगरी की ओर रुख किया। रास्ते में वही नगर भोज और राजकुमारी ने पहचान पत्र लिया जिसमें राजा ने राजकुमारी को साहूकार के पुत्र के साथ बहुत सारा धन-धान के साथ रखा
विदा किया।

अन्य साहूकार और उसकी पाटनी छत पर बैठे थे। यह कर अनुरोध किया गया था कि यदि उनका बेटा सकुशल वापस नहीं लौटा तो वह छत से कूदकर अपना प्राण स्थापित कर देगा। उस लड़के के मामा ने सानिया साहूकार के बेटे और बहू के आने का समाचार दिया, लेकिन उन्होंने कोई शपथ नहीं ली, तो मामा ने शपथ ली, तब कहा तो दोनों को मिलाप हो गया और दोनों ने अपने बेटे-बहू का वादा किया। उसी रात साहूकार कंपनी ने शिव जी को दर्शन दिए और कहा कि तुम्हारे पूजन से मैं प्रसाद का दर्शन करता हूं। इसी प्रकार जो भी इलेक्ट्रोनिक इस कथा को पढ़ेगा या सुनेगा उसका समस्त दु:ख दूर हो जाएगा और सभी मनों का प्रसार होगा।
हर हर महादेव 🙏
पूर्ण लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद 🙏🙏🌷

लक्ष्मी माता के 18 पुत्रो के नाम 🙏🏻🙏🏻👇

1.ॐ देवसखाय नम: 2. ॐ चिक्लीताय नम:

भक्ति स्टोरी घरेलू नुस्खे आदि 🙏🌹