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1#माता लक्ष्मी जी की कथा 🙏🙏👇👇







माँ लक्ष्मी सुख, समृद्धि और धन की देवी हैं। जब लक्ष्मी माता का व्रत किया जाता है तो लक्ष्मी माता की कहानी का व्रत किया जाता है। लक्ष्मी माता के व्रत को 'वैभव लक्ष्मी व्रत' भी कहा जाता है। वैभव लक्ष्मी व्रत शुक्रवार के दिन मनाया जाता है। इस व्रत को स्त्री या पुरुष कोई भी कर सकता है। लक्ष्मी माता का व्रत रखने से सुख-समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।

उस दिन माता लक्ष्मी का व्रत किया जाता है और लक्ष्मी माता की कहानियां बताई जाती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं। जो भी मां लक्ष्मी के मन में विराजमान होती है, उस पर मां लक्ष्मी अपनी कृपा बरसाती हैं। व्रत वाले दिन कई लोग व्रत रखते हैं और शाम के समय व्रत करने वाले राजा और लक्ष्मी माता की कहानी कहते
। तो आइये जानते हैं लक्ष्मी माता की पावन कथा 
एक गांव में एक साहूकार रहता था। साहूकार की एक बेटी थी। वह हर रोज पीपल सींचने जाती थी। पीपल के पेड़ से लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं और चली गईं। एक दिन लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी से कहा - तू मेरी सहेली बन जा। तब लड़की ने कहा कि मैं अपने पिता से सवाल कलकर आऊंगी।
साहूकार की बेटी ने अपने पिता से सारी बात कह दी। तब उनके अनमोल वचन वह तो लक्ष्मी जी हैं। अपने को और क्या चाहिए तू लक्ष्मी जी की सहेली बन जा। दूसरे दिन वह लड़की फिर चली गई। तब लक्ष्मी जी पीपल के पेड़ से निकल कर आई और कहा दोस्त बन जा तो लड़की ने कहा, बन जाऊंगी और दोस्त बन गए दोस्त।

लक्ष्मी जी ने भोजन की न्युता दी। घर पर लड़की ने मां-बाप से कहा कि मेरी सहेली ने मुझे खाना खिलाया है। तब बाप ने कहा था कि दोस्त के जिमने जाकर घर को संभाल कर रखना। तब वह लक्ष्मी जी के यहां जिमने गए तो लक्ष्मी जी ने उन्हें शाल दुशाला ओढ़ने के लिए दिया, रुपये खाए, सोने की सब्जी, सोने की थाली में छत्तीस प्रकार के भोजन का (व्यंजन) कराया।
जीम कर जब वह जाने लगी तो लक्ष्मी जी ने पल्ला पकड़ लिया और कहा कि मैं भी तुझे घर जिमने आऊंगी। तो उसने कहा आ जाइयो. वह घर पर किरायेदार बैठाया गया। तब बाप ने पूछा कि कौन सी बेटी सहेली यहां जिमकर आ गई? और तू उदास क्यों है? तो उसने कहा मेरे को लक्ष्मी जी ने इतने सारे प्रकार के आहार दिए लेकिन मैं कैसे जिमाऊंगी?

आपके घर में तो कुछ भी नहीं है। तब उसके पिता ने कहा था कि गोबर मिट्टी से चौका लगाकर घर की सफाई कर ले। चार मुख वाले ने दिया चित्र, लक्ष्मीजी का नाम लेकर रसोई में बैठे। लड़की सफाई लेकर लोध लेकर बैठ गई। उसी समय एक रानी नहा रही थी। उसका नोलखा हार गया, उसे उठा लिया गया और उसके घर नौलखा हार गया, और उसका बच्चा ले गया।
बाद में वह खो गया और सामान बेचने लगा तो सूनर ने पूछा कि क्या करना चाहिए? तब उन्होंने कहा कि सोने की दुकान, सोने का थाल, शाल दुशाला दे दे, मोहर दे और सामग्री दे। छत्तीस प्रकार का भोजन हो जाए इतना सामान। साडी चीजें लेकर बहुत तैयारी की और बनाई गई तब गणेश जी ने कहा कि लक्ष्मी जी को बुलाओ।

आगे-आगे गणेशजी और पीछे-पीछे लक्ष्मीजी आई। उसने फिर से दुकान डाल दी और कहा, दोस्त की दुकान पर बैठ जाओ। जब लक्ष्मी जी ने कहा कि मेरे यहाँ तो राजा रानी के लिए भी कोई घर नहीं है, किसी के भी घर में नहीं है, तो उन्होंने कहा कि मेरे यहाँ तो तुम बैठो। फिर लक्ष्मीजी की दुकान स्थापित हुई। टैब वह बहुत एहसानमंद की। जैसी लक्ष्मी ने करी थी, वैसी ही करी।
लक्ष्मीजी उस पर प्रसन्न हो गईं। घर में धन और लक्ष्मी हो गयीं। साहूकार की बेटी ने कहा, मैं अभी आ रही हूं। तुम बेघर हो गए और वह चले गए। लक्ष्मीजी घर पर नहीं रहीं और होटल में रहीं। बहुत सारे टैग दिए। लक्ष्मीजी को साहूकार की बेटी के रूप में जाना जाता है। कथन कहें, हुंकारा भारते अपने सारे परिवार को दियो। पीहर में जाना, मुस्लिमों में जाना। बेटे को पॉट देना। हे लक्ष्मी माता ! सभी कष्ट दूर करना , दरिद्रता दूर करना , प्लांट मनोभाव पूर्ण करना ।
यह माता लक्ष्मी जी की कथा थी।
आशा करती हूं आपको पसंद आई होगी धन्यवाद 🙏

1#ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे 🙏👇 पढ़िए भगवान विष्णु जी की आरती।

ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे | 1
 
 | ॐ जय जगदीश हरे |
 
मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं मैं किसकी
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी |
 तुम पूरण परमात्मा,
तुम अंतर्यामी
स्वामी तुम अंतर्यामी
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी |2
 
| ॐ जय जगदीश हरे |
 
तुम करुणा के सागर,
तुम पालन कर्ता
स्वामी तुम पालन कर्ता
मैं मूरख खल कामी ,
कृपा करो भर्ता ।3

 |ॐ जय जगदीश हरे |
 तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति |4
 
| ॐ जय जगदीश हरे |
 
दीनबंधु दुखहर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी ठाकुर तुम मेरे
अपने हाथ उठा‌ओ,
द्वार पड़ा मैं तेरे |5
 
| ॐ जय जगदीश हरे |
 
विषय विकार मिटा‌ओ,
पाप हरो देवा,
स्वामी पाप हरो देवा,
श्रद्धा भक्ति बढ़ा‌ओ,
संतन की सेवा |6
 
| ॐ जय जगदीश हरे |
 
श्री जगदीश जी की आरती,
जो कोई नर गावे,
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी,
सुख संपत्ति पावे |7
 
| ॐ जय जगदीश हरे |
 
। इति श्री विष्णु आरती ।
 
“ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट क्षण में दूर करे ॐ जय जगदीश हरे”
बोलो श्री हरि विष्णु भगवान की जय।।

लक्ष्मी माता के 18 पुत्रो के नाम 🙏🏻🙏🏻👇

1.ॐ देवसखाय नम: 2. ॐ चिक्लीताय नम:

भक्ति स्टोरी घरेलू नुस्खे आदि 🙏🌹