2# लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
2# लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

1#सावन मास में इन मंत्रों का करें जाप, महाकाल होंगे प्रसन्न, रुके हुए काम भी हो जाएंगे पूरे 2023शुभ सोमवार 🙏👇

सावन का भगवान शिव को समर्पित है. इस महीने में भोलेनाथ की पूजा-पाठ करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है. ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसे मंत्र बताने जा रहे हैं, जो आपकी बंद किस्मत का दरवाजा खोल सकते हैं
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ओम।
हिंदू धर्म में सावन (सावन माह 2023 Kab Hai) के महीने का खास महत्व है. यह महीना भोलेनाथ को समर्पित होता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह पांचवा महीना होता है. मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव (Lord Shiva) की विधि-विधान से पूजन करने पर लोगों की हर मनोकामना पूरी होती है. इस साल अधिक मास के कारण सावन दो माह का होगा. सावन की शुरुआत 4 जुलाई से हो रही है, जो 31 अगस्त को समाप्त हो जाएगा. 
सावन के महीने में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त पूजा-पाठ आदि के साथ तरह-तरह के उपाय और टोटके अपनाते हैं. मान्यता है कि सावन के महीने में मंत्रों का जाप करना लाभकारी साबित हो सकता है. इन मंत्रों के जाप से व्यक्ति को हर काम में सफलता मिलती है. इसके साथ ही धन-दौलत, सुख-समृद्धि, नौकरी, विवाह आदि के साथ अच्छा स्वास्थ्य भी मिलेगा. ऐसे में आइये जानते हैं भगवान शिव के मंत्र 


सावन माह में करें इन मंत्रों का जाप
शिव पंचाक्षार मंत्र
मान्यता है कि भोलेनाथ ने स्वयं पंचाक्षर मंत्र की रचना की है-ऊं नम: शिवाय. इस मंत्र के जाप से हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल सकता है. 


महामृत्युंजय मंत्र
ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। 
ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।
रुद्र गायत्री मंत्र 
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥


इन मंत्रों का भी करें जाप
ॐ सर्वात्मने नम:
ॐ त्रिनेत्राय नम:
ॐ हराय नम:
ॐ इन्द्रमुखाय नम:
ॐ श्रीकंठाय नम:
ॐ वामदेवाय नम:
ॐ तत्पुरुषाय नम:
ॐ ईशानाय नम:
ॐ अनंतधर्माय नम:
ॐ ज्ञानभूताय नम:
ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नम:
ॐ प्रधानाय नम:
ॐ व्योमात्मने नम:
ॐ युक्तकेशात्मरूपाय नम
सावन सोमवार की( तारीख 2023 सावन सोमवार)
सावन का पहला सोमवार: 10 जुलाई
सावन का दूसरा सोमवार: 17 जुलाई
सावन का तीसरा सोमवार: 24 जुलाई
सावन का चौथा सोमवार: 31 जुलाई
सावन का पांचवा सोमवार: 07 अगस्त
सावन का छठा सोमवार:14 अगस्त
सावन का सातवां सोमवार: 21 अगस्त
सावन का आठवां सोमवार: 28 अगस्त
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय हर हर हर महादेव 🙏🙏
पूरा लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद आपका 🙏🙏

गुरुवार व्रत की पूरी कथा जिसे सुनने से मिलेगी देव बृहस्पति की कृपा👍👍🙏🙏🌷🌷👇👇

देव गुरु बृहस्पति को बुद्धि और शिक्षा का कारक माना जाता है. गुरुवार को बृहस्पति देव की पूजा करने से धन, विद्या, मान-सम्मान, प्रतिष्ठा और कई अन्य मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, गुरुवार को भगवान बृहस्पति की पूजा का विधान है. गुरुवार के दिन व्रत और कथा सुनने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है. आइए जानते हैं गुरुवार व्रत कथा के बारे में....
गुरुवार के दिन देव गुरु बृहस्पति की पूजा की जाती है
इस दिन केले की जड़ की विधि-विधान से पूजन किया जाता है
जानें गुरुवार व्रत कथा का महत्व,,

देव गुरु बृहस्पति को बुद्धि और शिक्षा का कारक माना जाता है. गुरुवार को बृहस्पति देव की पूजा करने से धन, विद्या, मान-सम्मान, प्रतिष्ठा और कई अन्य मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, गुरुवार को भगवान बृहस्पति की पूजा का विधान है. गुरुवार के दिन व्रत और कथा सुनने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है. आइए जानते हैं गुरुवार व्रत कथा के बारे में....

गुरुवार व्रत कथा:
कथा के अनुसार, प्राचीन काल की बात है. किसी राज्य में एक बड़ा प्रतापी और दानी राजा राज करता था. वह हर गुरुवार को व्रत रखकर दीन-दुखियों की मदद करके पुण्य प्राप्त करता था, परंतु ये बात उसकी रानी को अच्छी नहीं लगती थी. वह न तो व्रत करती थी और न ही दान-पुण्य में विश्वास रखती थी. इतना ही नहीं, वह राजा को भी ऐसा करने से मना करती थी.
एक समय की बात है, राजा शिकार खेलने के लिए वन गए. घर पर रानी और दासी थी. उसी समय गुरु बृहस्पतिदेव साधु का रूप धारण कर राजा के दरवाजे पर भिक्षा मांगने आए. साधु ने जब रानी से भिक्षा मांगी तो वह कहने लगी, हे साधु महाराज, मैं इस दान और पुण्य से तंग आ गई हूं. आप कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे कि सारा धन नष्ट हो जाए और मैं आराम से रह सकूं.
इतना सुनकर बृहस्पतिदेव ने कहा, हे देवी, तुम बड़ी विचित्र हो, संतान और धन से कोई दुखी होता है. अगर अधिक धन है तो इसे शुभ कार्यों में लगाओ, कुंवारी कन्याओं का विवाह कराओ, विद्यालय और बाग-बगीचे का निर्माण कराओ, जिससे तुम्हारे दोनों लोक सुधरें. परंतु साधु की इन बातों से रानी को खुशी नहीं हुई. उसने कहा कि मुझे ऐसे धन की आवश्यकता नहीं है, जिसे मैं दान दूं और जिसे संभालने में मेरा सारा समय नष्ट हो जाए.

तब साधु ने कहा, अगर तुम्हारी ऐसी इच्छा है तो मैं जैसा तुम्हें बताता हूं तुम वैसा ही करना. गुरुवार के दिन तुम घर को गोबर से लीपना, अपने बालों को पीली मिट्टी से धोना, राजा से हजामत बनाने को कहना, भोजन में मांस-मदिरा का प्रयोग करना, कपड़े धोबी के यहां धुलने देना. इस प्रकार सात बृहस्पतिवार करने से तुम्हारा समस्त धन नष्ट हो जाएगा. इतना कहकर साधु के रूप में बृहस्पतिदेव अंतर्ध्यान हो गए.
साधु के अनुसार कही बातों को पूरा करते हुए रानी को केवल तीन बृहस्पतिवार ही बीते थे कि उसकी समस्त धन-संपत्ति नष्ट हो गई. भोजन के लिए राजा का परिवार तरसने लगा. तब एक दिन राजा ने रानी से बोला कि हे रानी, तुम यहीं रहो, मैं दूसरे देश को जाता हूं, क्योंकि यहां पर सभी लोग मुझे जानते हैं. इसलिए मैं कोई छोटा कार्य नहीं कर सकता. ऐसा कहकर राजा दूसरे देश चला गया. वहां वह जंगल से लकड़ी काटकर लाता और शहर में बेचता. इस तरह वह अपना जीवन व्यतीत करने लगा. इधर, राजा के परदेस जाते ही रानी और दासी दुखी रहने लगी.

एक बार जब रानी और दासी को सात दिन तक बिना भोजन के रहना पड़ा, तो रानी ने अपनी दासी से कहा, हे दासी, पास ही के नगर में मेरी बहन रहती है. वह बड़ी धनवान है. तू उसके पास जा और कुछ ले आ, ताकि थोड़ी-बहुत गुजर-बसर हो जाए. दासी रानी की बहन के पास गई.

उस दिन गुरुवार था और रानी की बहन उस समय बृहस्पतिवार व्रत की कथा सुन रही थी. दासी ने रानी की बहन को अपनी रानी का संदेश दिया, लेकिन रानी की बड़ी बहन ने कोई उत्तर नहीं दिया. जब दासी को रानी की बहन से कोई उत्तर नहीं मिला तो वह बहुत दुखी हुई और उसे क्रोध भी आया. दासी ने वापस आकर रानी को सारी बात बता दी. ये सुनकर रानी ने अपने भाग्य को कोसा. उधर, रानी की बहन ने सोचा कि मेरी बहन की दासी आई थी, परंतु मैं उससे नहीं बोली, इससे वह बहुत दुखी हुई होगी।
कथा सुनकर और पूजा समाप्त करके वह अपनी बहन के घर आई और कहने लगी, हे बहन, मैं बृहस्पतिवार का व्रत कर रही थी. तुम्हारी दासी मेरे घर आई थी परंतु जब तक कथा होती है, तब तक न तो उठते हैं और न ही बोलते हैं, इसलिए मैं नहीं बोली. बताओ दासी क्यों आई थी.

रानी बोली, बहन, तुमसे क्या छिपाऊं, हमारे घर में खाने तक को अनाज नहीं है. ऐसा कहते-कहते रानी की आंखें भर आई. उसने दासी समेत पिछले सात दिनों से भूखे रहने की पूरी बात अपनी बहन को बता दी. रानी की बहन बोली, देखो बहन, भगवान बृहस्पतिदेव सबकी मनोकामना को पूर्ण करते हैं. देखो, शायद तुम्हारे घर में अनाज रखा हो.

पहले तो रानी को विश्वास नहीं हुआ पर बहन के आग्रह करने पर उसने अपनी दासी को अंदर भेजा तो उसे सचमुच अनाज से भरा एक घड़ा मिल गया. ये देखकर दासी को बड़ी हैरानी हुई. दासी रानी से कहने लगी, हे रानी, जब हमको भोजन नहीं मिलता तो हम व्रत ही तो करते हैं, इसलिए क्यों न इनसे व्रत और कथा की विधि पूछ ली जाए, ताकि हम भी व्रत कर सकें. तब रानी ने अपनी बहन से बृहस्पतिवार व्रत के बारे में पूछा.
उसकी बहन ने बताया, बृहस्पतिवार के व्रत में चने की दाल और मुनक्का केले की जड़ में अर्पित करें तथा दीपक जलाएं, व्रत कथा सुनें और पीला भोजन ही करें. इससे बृहस्पतिदेव और भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. व्रत और पूजा की विधि बताकर रानी की बहन अपने घर को लौट गई.

सात दिन के बाद जब गुरुवार आया तो रानी और दासी ने व्रत रखा. वह घुड़साल में जाकर चना और गुड़ लेकर आईं. फिर उससे केले की जड़ तथा विष्णु भगवान की पूजा की. अब पीला भोजन की चिंता को लेकर दोनों बहुत दुखी हुईं. चूंकि उन्होंने व्रत रखा था इसलिए बृहस्पतिदेव उनसे प्रसन्न थे. वह एक साधारण व्यक्ति का रूप धारण कर दो थालों में पीला भोजन दासी को दे गए. भोजन पाकर दासी प्रसन्न हुई और फिर रानी के साथ मिलकर भोजन ग्रहण किया.
उसके बाद वह सभी गुरुवार को व्रत और पूजा करने लगी. बृहस्पति देव की कृपा से उनके पास फिर से धन-संपत्ति आ गई, परंतु रानी फिर से पहले की तरह आलस्य करने लगी. तब दासी बोली, देखो रानी, तुम पहले भी इस प्रकार आलस्य करती थी, तुम्हें धन रखने में कष्ट होता था. इस कारण सभी धन नष्ट हो गया और अब जब देव बृहस्पति की कृपा से धन मिला है तो तुम्हें फिर से आलस्य होने लगा है.

रानी को समझाते हुए दासी कहती है कि बड़ी मुसीबतों के बाद हमने ये धन पाया है. इसलिए हमें दान-पुण्य करना चाहिए, भूखों को भोजन कराना चाहिए और धन को शुभ कार्यों में खर्च करना चाहिए. इससे तुम्हारे कुल का यश बढ़ेगा, स्वर्ग की प्राप्ति होगी और पित्र प्रसन्न होंगे. दासी की बात मानकर रानी अपना धन शुभ कार्यों में खर्च करने लगी. इससे पूरे नगर में उसका यश बढ़ने लगा. बृहस्पतिवार व्रत कथा के बाद श्रद्धा के साथ आरती की जानी चाहिए. इसके बाद प्रसाद बांटकर उसे ग्रहण करना चाहिए.🙏🙏👍👍
कृपया पूरा लेख पढ़े धन्यवाद 🙏

लक्ष्मी माता के 18 पुत्रो के नाम 🙏🏻🙏🏻👇

1.ॐ देवसखाय नम: 2. ॐ चिक्लीताय नम:

भक्ति स्टोरी घरेलू नुस्खे आदि 🙏🌹