वह कपडा इतना सूंदर था की किस ने भी उस कपडे की कीमत नहीं पूछी | सभी को लगा की ये बहुत महंगा होगा | फिर वह अपने कपडे के साथ वापिस आ रहे थे |रस्ते में उने एक बूढ़ा आदमी बैठा मिला| उसने दासिमैया की तरफ देखकर कहा में कांप रहा हु |क्या तम मुझे वह कपडा दे सकते हो |दयालु भाव होने के कारन दासिमैया ने वह कपडा वह बूढ़े आदमी को वो कपडा दे दिया |
उस आदमी ने वह कपडा खोला और उस कपडे के कई टुकड़े करदिया | एक टुकड़ा उसने अपने सिर पर भांध लिया दूसरा अपने छाती पर और दो छोटे टुकड़े अपने पैरो पर और हाथो पर भांध कर बैठ गया |
दासिमैया बस देखते रहे अचानक से बूढ़ा आदमी में ने पूछा क्या कोई दिकत है | दासिमैया बोलै नहीं बस यह कपडा बस आपका ही है आप जो चाहे कर सकते है | फिर दासिमैया उस बूढ़े आदमी को अपने घर खाने खिलाने के लिए ले गए | लेकिन घर पर खाने के लिए कुछ नहीं था अतिथि को देखकर उनकी पत्नी बोली घर में इतना खाना भी नहीं की आप खा सके और आप एक मेहमान साथ ले आये| दासिमैया फिर परेशान होकर कहा चलो मेरा छोड़ो घर में जो भी तिल फूल है उसे बनाकर ले आओ|
तो फिर क्या था अपने भक्त को ज्यादा दिएर असमंजस में पड़ा नहीं देख पाए |वह बूढ़ा आदमी और कोई नहीं वह भगवान शिव थे | वह दासिमैया की हालत देख अपने वास्तविक रूप में आ गये |
फिर भगवान शिव एक मुठी चावल उनके अनाज के बर्तन में डाल दिया | वह बर्तन अक्षय बन गया भाव: की जिसका कभी अंत न हो |उस बर्तन में फिर कभी भी अनाज ख़तम नहीं हुआ यानि वह कभी खली नहीं हुआ | दासिमैया और उनकी पत्नी ने उस बर्तन से बहुत से लोगो की मदद की यानि बहुत से बुखो को खाना भी खिलाया और स्वयं भी उससे ही भोजन पाया |
यह था दासिमैया की कथा | उनकी भक्ति ,कविताये और उनकी अनुपस्तिथि ने कई लोगो को रूपांतरित किया और कई लोगो कि हिरदय परिवर्तन किया | इस वजह से लोगो दासिमैया को देवरा दासिमिया कहने लगे |देवरा कि भाव अर्थ: यह है की जो ईश्वर का है |
भोलेनाथ को पहने के लिए कुछ ज्यादा यातन करने की भी जरूरत नहीं पढ़ती बाबा तो बस प्रेम की डोर से खींचे चले आते है | मन में अचे भाव हो हिरदय में प्रभु का नाम हो | सबको एक ही द्रिष्टि से देखा जाये है और यह सोचा सब शिव के अंश |
पढ़ने के बाद comment करके बताये आपको कैसे लगे यह कथा और कमेंट में ॐ नमः शिवाय लिखना न भूले| दोस्तों को भी share करे | हर हर महादेव 🙏🙏👍👍🙋🙋😘😘
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